
Surya Upasana, Makar Sakranti
Surya Upasana ,Makar Sakranti
Makar Sakranti :-
के दिन स्नान, दान, जप, तप का प्रभाव ज्यादा होता है ! उत्तरायण यानी Surya Upasana, Makar Sakranti के एक दिन पूर्व रात को भोजन थोडा कम लेना ! दूसरी बात, Makar Sakranti के दिन पंचगव्य का पान पाप नाशक एवं विशेष पुण्य दायी माना गया है !
त्वचा से लेकर अस्थि तक की बीमारियों की जड़ें पंचगव्य उखाड़ के फेंक देता है ! पंचगव्य आदि न बना सको तो कम-से-कम गाय का गोबर, गोझारण, थोड़े तिल, थोड़ी हल्दी और आँवले का चूर्ण इनका उबटन बनाकर उसे लगा के स्नान करो अथवा सप्त धान्य उबटन से स्नान करो !
Sapt Dhany
1. पिसे हुए गेहूँ,
2. चावल,
3. जौ,
4. तील ,
5. चना,
6.मूँग और
7. उड़द से बना मिश्रण !
Surya Upasana :-
A. इस Makar Sakranti पर्व पर जो प्रात: स्नान नहीं करते ” विकट परिस्थिति को छोड कर ” हैं वे सात जन्मों तक रोगी और निर्धन रहते हैं !
B. मकर संक्रांति के दिन सूर्योदय से पहले स्नान करने से दस हजार गौदान करने का फल शास्त्र में लिखा है
C. और इस दिन सूर्यनारायण का मानसिक रूप से ध्यान करके मन-ही-मन उनसे आयु-आरोग्य के लिए की गयी प्रार्थना विशेष प्रभावशाली होती है !
D. इस दिन किये गए सत्कर्म विशेष फलदायी होते हैं !
E. इस दिन भगवान् शिव को तिल, चावल अर्पण करने अथवा तिल, चावल मिश्रित जल से अर्घ्य देने का भी विधान है !
F. Makar Sakranti के दिन रात्रि का भोजन न करें तो अच्छा है लेकिन जिनको सन्तान है उनको उपवास करना मना किया गया है !
G. इस दिन जो 6 प्रकार से तिलों का उपयोग करता है वह इस लोक और परलोक में वांछित फल को पाता है :-
1. पानी में तिल डाल के स्नान करना !
2. तिलों का उबटन लगाना !
3. तिल डालकर पितरों का तर्पण करना, जल देना !
4. अग्नि में तिल डालकर यज्ञादि करना !
5. तिलों का दान करना !
6. तिल खाना !
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सावधानियां :-
1. तिलों की महिमा तो है लेकिन तिल की महिमा सुनकर तिल अति भी न खायें और रात्रि को तिल और तिलमिश्रित वस्तु खाना वर्जित है !
Surya Upasana, Makar Sakranti
उत्तरायण पर्व के दिन सूर्य-उपासना करें
मंत्र :-
आदित्याय विदमहे भास्कराय धीमहि ! तन्नो भानु: प्रचोदयात् ।
इस सुर्य गायत्री के द्वारा सूर्यनारायण को अर्घ्य देना विशेष लाभकारी माना गया है अथवा तो
ॐ सूर्याय नम: !
ॐ रवये नम: ।
ऊँ खगाय नमः… करके भी अर्घ्य दे सकते है
आदित्य देव की उपासना करते समय अगर सूर्य गायत्री का जप करके ताँबे के लोटे से जल चढाते है और चढ़ा हुआ जल जिस धरती पर गिरा, वहा की मिटटी का तिलक लगाते हैं तथा लोटे में 6 घूँट बचाकर रखा हुआ जल महामृत्युंजय मंत्र का जप करके पीते हैं तो आरोग्य की खूब रक्षा होती है ! आचमन लेने से पहले उच्चारण करना होता है
मंत्र :-
अकालमृत्युहरणं सर्वव्याधिविनाशनम
।
सूर्यपादोदकं तीर्थ जठरे धारयाम्यहम ।।
अर्थ :-
सूर्य भगवान जो अकाल मृत्यु को हरते हैं का चरणों का जल मैं अपने जठर में धारण करता हूँ !
जठर भीतर के सभी रोगों को और सूर्य की कृपा बाहर के शत्रुओं, विघ्नों, अकाल-मृत्यु आदि को हरे !
अति महत्वपूर्ण :-