
ashvin mudra vajroli mudra kase karte ha
ashvani mudra vajroli mudra kase karte ha

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हम चर्चा करने वाले है, कुंडली एक्टीव मे सहायक, vajroli mudra ,ashvani mudra,काम, क्रोध को जय करने की विधी के बारे में ।
जब भीं अध्यात्मिक क्रिया करते है जैसे त्राटक,मंत्रजाप या प्राणायाम, तो हमारा मन और भी उद्दीघन हो जाता है, क्रोध बढ़ जाता है,या छोटी छोटी बातों में हमें चिड होती है ! इन सब का क्या वजह है? और इनका क्या निवारण है?
साधकों ! हमारा मन इतना सेंसिटिव होता है कि एक मिनट में संकडो बार से ज्यादा वो चलायमान होता है और जैसे ही हम उसे एक जगह स्थिर करने की सोचते है या किसी विषय में उन्हें लगाते है, तो जिस विषय में उन्हें रस आता है, वही जाना पसंद करता है, इसलिये इनका नाम मन रखा गया है , क्योंकि मनन करना इनका कार्य है ।
प्यारे !
बचपन से अब तक जिन विषयों में हमें रस आ रहा था , उनसे हटाकर जब हम इसे त्राटक कराते है, प्राणायाम करते है , मंत्र जाप करते है तो शुरूआती समय में इसमें रस नहीं आता, और इसलिये भी हमारा मन नहीं लगता । जीससे आप को चिड सा महसूस होता है , क्रोध बढ़ जाता है , जैसे ही साधना करके उठते है आपको काम विकार सता सकता है । इनके पीछे कारण है हमारे शारीर में सुप्त शक्ति।
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जैसे ही हम ध्यान करते है या मैडिटेशन करते है तो सप्त धातु बनता है जो, ओज में, तेज ,में परिवर्तित होता है । लेकिन जाने अनजाने हम ब्रह्मचर्य से गिर जाये तो यानि हम सयंम न कर पाए , तो जो सप्त धातु बनना चाहिए, वो नहीं बनता और कुण्डलिनी जागरण की जो क्रिया है वो रुक जाती है ।
हमारे शारीर में सप्त धातु की कमी हो जाती है , इसकी वजह से भी हमें चिढ होता है , क्रोध आ सकता है ।
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प्यारे !
मन का कार्य ही है, उथल – पुथल मचाना, चिंतन करना, मनन करना, हर बातों को ये काफी चिंतन करते है । लेकिन जैसे ही हम ध्यान करते है, मैडिटेशन करते है, या जो भी हम अध्यात्मिक क्रिया करते है , तो उसमे शक्ति बढ़ने लगती है ।
जैसे :– प्रेम या उदारता , सहनशीलता , धैर्य करुणा , क्षमाशीलता ,आदि सारे गुण हम में आने लगते है, और जब हम ध्यान करते है , तो हमारे मन की शक्ति बढ़ने लगती है हमारी इन्द्रिय सेंसिटिव होती है, यानि हमें सुनने की, देखने की, और जो भी हमारे इन्द्रिय है वो काफी तेज गति से चलने लगता है, जिसकी वजह से भी हमें ऐसा लगता है की हमारे साथ कुछ अलग हो रहा है,
जैसे :- काम, क्रोध, लोभ,मोह, ये सब विकारे भी हमें मन में भासने लगता है , इनके पीछे कारण है की ये सब सुप्त अवस्था में हमारे मन में है , लेकिन जैसे ही हम इसे रोकने की कोशिश कर रहे है, तो ये बन्दर की तरह होता है , क्योंकी बन्दर को हम पकड़ने की कोशिश करेगे तो काफी उथल – पुथल करेगा !
मन को जब ध्यान की विधि द्वारा वश में करने की कोशिश करते है या त्राटक करते है जब, तो मन को हम पकड़ने की क्रिया कर रहे होते हैं , तो ये ठीक बन्दर की तरह उथल पुथल करेगा और हमें क्रोध भी हो सकता है , चिढ भी हो सकता है ।
प्यारे !
सप्त धातु हमारे मूलाधार से सह्स्त्रसार तक चलेगी, लेकिन उसके लिये हर अध्यात्मिक व्यक्ति यही सलाह देता है के हमें ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए । जब ब्रह्मचर्य का पालन करेगे, तभी हम ध्यान में सही प्रगति कर पायेगे , Kundlini activate कर पायेंगे ।
तो प्यारे! अब मैं आपको बताने वाला हूँ की अगर आपको इस तरह की चिढ बढ़ गयी है , क्रोध होने लगा है, या आपको आपका मन काफी उद्दिगन होने लगा है, तो आप घी का लेप लगा सकते है अपने सर पर, जैसे :- साधू संत लोगो को आपने देखा होगा की वो चन्दन का लेप लगते है , अपने मस्तक पे, आप भी लगा सकते है , अगर आप के पास उपलब्ध है तो।
तो प्यारे!
मैं आपको बताने वाला हूँ Catholic mudra , अगर पुरुष लगाता है तो वज्रोली मुद्रा कहलायेगा। और अगर स्त्रिया इस मुद्रा को करती है तो ashvani mudra कहते है ।
विधि :-
कैसे करना है ?
आप सब से पहले तो किसी आसन में बैठ जाये , जब भी आप ध्यान करते हैं तो ध्यान के बाद इस मुद्रा को करनी है ,
जैसे घोडा लीद छोडते वक्त अपने संकोचित करता है, वैसे ही आपको अपनी गुदा द्वार को संकोचित करना है , आपको जल्दी जल्दी 20 से 25 बार आपको संकोचित कर लेना है ।
इस से आपको जो सप्त धातु जो शरीर में बन रहा है वह Kundlini activate करने में आपको सहायता प्राप्त करेगा ।
आपकी जो उर्जा बनी है ध्यान से वह सप्त धातु ,नीचे होने की बजाय उपर होगा।
तो प्यारे उर्ध्वगमन का मतलब हुआ की उपर की और बहना । याने आपको मूलाधार से सहस्त्रधार तक आपका ये उर्जा ऊपर की और चलेगा ।
ashvani mudra
जब भी प्राणायाम करे , अपने पैर का जो सब से निचला हिस्सा है, जिसे एडी कहते है , जैसे के लाल घेरे पर आप देख रहे है, स्लाइड पर ,उसे आप अपने पैरो से ही आप गुदा द्वार पे चोट करे , याने ठोकर मरे , इस से भी आपको कुण्डलिनी जागरण में काफी सहायता मिलता है । और आपका जो पहले केंद्र में विकार है, उस पर आपको जय प्राप्त करने में मदद मिलती है ।
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आशा करता हूं मेरे इस लेख ashvani mudra vajroli mudra kase karte ha से आपको काफी जानकरी मिली होगी । आपको ये लेख तभी लाभ मीलेगा जब आप अभ्यास करोगे। मै प्रमात्मा से प्रार्थना करता हूँ आप साधने करें और अध्यात्मिक ऊंचाई प्राप्त करें। अपने साधक मित्र में लेख ashvani mudra vajroli mudra kase karte ha शेयर कर पुण्य लाभ अवश्य कमायें ।
धन्यवाद