
Sadhna me safalta ke Niyam
Sadhna me safalta ke Niyam
सीर्फ 9 Niyam को जो भी पालन करें उन्हें सर्वज्ञ होने से त्रिदेव भी नहीं रोक नहीं सकता, चाहे कोई भी Sadhna करो safalta मिलेगा ।
👉स्वाध्याय :-
नीत्य आत्म चिंतन विश्यक शास्त्र का जैसे योगवशिष्ट महा रामायण, अष्टावक्र गीता, अवधूत गीता आदि का पाठ करने से मन अनात्म से आत्म विश्रांति की ओर आता है।
👉ब्रम्हचर्य :-
बगैर ब्रम्हचर्य का लाखो माला घुमा लो, या सैकडो अनुष्ठान कर लो अपने मन को जीता नहीं जा सकता, और जिसने मन जीत लिया उन्हें कीसी भी देवी देवता के आगे गीडगीडाने की जरूरत ही नही।
👉प्राणायामः-
प्राणायाम से मन का मल नष्ट होता है। रजो व तमो गुण दूर होकर मन स्थिर व शांत होता है।शुभ कार्य मन को सतत शुभ कर्मों में रत रखने से उसकी विषय-विकारों की ओर होने वाली चंचलता रुक जाती है।और मन आत्म विश्रांति के योग्य बनता है।
👉मौनः-
संवेदन, स्मृति, भावना, मनीषा, संकल्प व धारणा – ये मन की छः शक्तियाँ हैं। मौन व प्राणायाम से इन सुषुप्त शक्तियों का विकास होता है, और ब्रह्मचर्य मे सहायता मिलती है।
👉उपवासः-
(अति भुखमरी नहीं) उपवास = आत्मा + निवास, अल्पा हार से मन विषय-वासनाओं से उपराम होकर अंतर्मुख होने लगता है।
“गुरूवार व्रत पापनाशक तथा पुण्यदायी व्रत है। प्रत्येक गुरू भक्त व्यक्ति को प्रतेक गुरूवार दिन उपवास करना चाहिए।”
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👉प्रार्थनाः-
प्रार्थना से मानसिक तनाव दूर होकर मन हलका व प्रफुल्लित होता है। मन में विश्वास व निर्भयता आती है, प्रतेक दिन अपने गुरू से प्रार्थना करनी चाहिए की मै माया से पार अपने आत्मा नंद मे गोता लगाऊ।।
👉सत्यभाषणः-
सदैव सत्य बोलने से मन में असीम शक्ति आती है।
👉सद् विचारः-
कुविचार मन को अवनत व सद् विचार उन्नत बनाते हैं, अतः सदा सद विचार करें।
👉प्रणवोच्चारणः-
दुष्कर्मों का त्याग कर किया गया ૐकार का दीर्घ उच्चारण और ऊँ जप मन को आत्म-परमात्म शांति में एकाकार कर देता है।
शास्त्रों में दिये गये इन उपायों से मन निर्मलता, समता व प्रसन्नता रूपी प्रसाद प्राप्त कर प्रमात्मा से प्रेम बढने लगता है और साधक सदा आनंद से भर जाता है।
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