Aatma Gyan Pane Ka Saral vidhi
Aatma Gyan Pane Ka Saral vidhi

Aatma gyan
जिस साधक को परमात्मा Gyan प्राप्त करना है उन्हें निचे दिए लेख को पूरा पढ़ कर पालन करना चाहिए , इस लेख में चर्चा करेंगे की Aatma Gyan Pane Ka Saral vidhi क्या है
गुरू दीक्षा जरूरी क्यों ईसे भी पढें https://mantragyan.com/bhakti-or-gyan-yog/guru-dikcha-kyo-jaruri-ha-mahatv-kya-ha/
Aatma gyan ka sahi tarika
जितना कठीन हम ज्ञान को मानते है उतना कठिन नहीं है अगर हम अपने सद्गुरु के विचारो को श्रद्धा पूर्वक मान लें ,यानि अपनी मै को छोड़ दे। तो परमात्मा सदा हमारे साथ ही है।
परमात्मा प्राप्ति में सबसे बड़ी बाधा हमारी कुछ बनने की चाह यानि अहंकार ही है ,किसी साधक ने मेरे से सवाल करा था की परमात्मा प्राप्ती का आसान तरीका क्या है :- वासना और संसार को सत्य मानना यही हमारे ज्ञान में सबसे बड़ी रूकावट है ,जब तक कि हम इस संसार को सत्य मानेंगे और भागों में हम जब तक उलझे रहेंगे तब तक हम ज्ञान को नहीं पा सकते , वशिष्ठ महारामायण में चर्चा आता है जिसमें रामचंद्र जी और वशिष्ठ जी के संवाद रूप में बताया गया है परमात्मा प्राप्ति का मार्ग
parmatma pane me badi badha
वैराग्य :-
मै आपको इसके माध्यम से कुछ बातें बताऊंगा कि कैसे हम वैराग्य कर सकते हैं आत्मा पहले से है हमें सिर्फ है उसे मान लेना है , जो हम पर अज्ञान आई हुई है यानी जो जगत है उसे सत्य मान रहे हैं या आप यह समझीये कि जो चीज में आनंद नहीं है उसे हम आनंद मान बैठे हैं, हमें सिर्फ अपने भीतर के आनंद को जानना है और हम परमात्मा को लेंगे । जो जगत बना ही नहीं है उस पर हम दौड़ रहे जो जगत दिखता है वह सत्य नहीं है।
मैं आपको एक उदाहरण देकर बताता हूं कि कोई व्यक्ति अगर सोया है और उसने जलेबी खाने का सपना देखा उसे स्वप्न अवस्था में जो मिठास लगी वह वास्तव में जलेबी था नहीं , स्वप्न में अगर उसने किसी स्त्री का संसर्ग समझा और उसने जो आनंद की अनुभूति किया पर स्वप्न में कोई स्त्री तो थी नहीं , या तो किसी अंधेरे का उदाहरण लीजिए किसी अंधकार जगह में जब आप जाते हैं तो आपको हो सकता है डर लगे लेकिन जो बुद्धि से विवेकी नहीं है या जिसका बुद्धि काम ही नहीं करता उसे उस अंधकार में भय नहीं लगेगा।

parmatma
परमात्मा और आनंद यह दोनों का एक ही नाम है पर्यायवाची शब्द और हममें ही आनंद है. अगर जलेबी या किसी वस्तु को हम उस का माध्यम मानते हैं तो सिर्फ माध्यम है आनंद आत्मा से मिलती है।
Aatma gyan ka uttam marg
तो वैराग्य प्रखंड के बारे में हम चर्चा कर रहे थे कि कैसे बैराग किया जा सकता है इस वशिष्ट रामायण में रामचंद्र जी के लिए वशिष्ठ जी ने बता रखा है और हम सभी के लिए है कि बाल्यवस्था में कैसे बालक मूड ऑफ कर रखता है कभी बोलता है कि पिताजी मुझे बर्फ भून कर दे दो कभी कहता है कि मुझे चांद दे दो , इतना बुरा समझ नहीं होता है कि जो ना चाहने वाली वस्तु है उस पर भी चाहत लगाए बना रहता है , [जबकि दुख का कारण है ] कभी वह अंगार पाने की कोशिश करता है जिनका कोई कीमत नहीं , उसकी युवावस्था में तो जिस स्त्री की कामना करता है हाड़ मांस मल मूत्र से बना हुआ एक मांस का लोथरा मात्र है।
वास्तव में परमात्मा आनंद स्वरूप है और उस आनंद को हम कैसे पा सकते हैं जब तक हम इस सत्य को सत्य नहीं जानेंगे तब हम उस व्यर्थ की वासना पर दौड़ते रहेंगे और हमें ज्ञान हो ही नहीं सकता इसके अनंतर बताया गया है , जो वृद्धावस्था है और बिस्तर पर पडा है फिर भी जो भोग जवानी में भोगा है उनके याद में तडप बनी रहती है। भोगा हुआ है उसकी इच्छा करते हैं जबकि भोग खत्म हो चुकी और वासना से दुःखी होते हैं ।
Parmatma pane me sabse badi badha
यानि आनंद स्वरूप परमात्मा को न जान कर सारी उम्र नाश वान भोग के तुच्छ रस में अपनी आत्मा का नाश करते रहते है और छणिक सुख में अपनी उम्र ख़त्म कर देते है परमात्मा प्राप्ति में सबसे बड़ी बाधा हमारी इच्छा ही है आनंद घन परमात्मा को छोड कर देखने सुनने चखने स्पर्श और सूंघने की इच्छा में इन्द्रियों की सुख में फसे रहना है।
जानने की इच्छा ,कुछ पाने की इच्छा को छोड़ कर अंतर आत्मा में ध्यान लगाना चाहिए , इस लेख में हमने जाना की
Parmatma pane me sabse badi badha क्या है।
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focus word :-
Aatma Gyan Pane Ka Saral vidhi लेख में बताये नियम के अनुसार परमात्मा को पाने का प्रयास कारने से निश्चित ही आत्मा ज्ञान पाया जा दकता है। माँ परमात्मा से दुआ करता हु आप का मन परमात्मा पाने में लगा रहे ,Aatma Gyan Pane Ka Saral vidhi लेख साधको में सेयर करे और पुण्य लाभ जरूर कमाये।