मंत्र, मुद्रा, हेल्थ में संबंध
मंत्र, मुद्रा, हेल्थ में संबंध

मंत्र ,मुद्रा, हेल्थ में संबंध
मंत्र ,मुद्रा, हेल्थ में संबंध लेख में बताने वाला हूं बहुत ही खास बात की मंत्र कैसे हमारे जीवन में प्रभावी है । और मुद्रा का हेल्थ में संबंध क्या होता है, आप पूरा पढ़े ईस लेख को समझने के बाद आप का जीवन पहले जैसा नहीं रहेगा और निश्चित ही आध्यात्मिक विकास के सांथ सांथ स्वास्थ्य भी प्राप्त कर लोगे।
मंत्र ,मुद्रा, हेल्थ में संबंध में बताये मंत्र और विधि से अगर आप नियमित संख्या में मंत्र जाप करते हो तो आप से मंत्र सीद्ध हो जाएगा। मंत्र विज्ञान सबसे प्राचीन विद्या है लेकिन लोग इसे समय के साथ भूल गए हैं ,अब मंत्र ज्ञान आध्यात्मिक चैनल में मंत्र और मुद्रा की इस प्राचीन विद्या को आप तक पहुंचाने का प्रयास किया है ताकि आप तक इस विद्या को सेवा के रूप में पहुंचाया जा सके सबसे पहले हम समझते हैं ।
मंत्र ,मुद्रा, हेल्थ में संबंध
क्या आपने कभी मंत्र और रोग के बारे में सोचा है ?
हमारे शरीर में रोग कैसे होता है ?
और योग कैसे उसे दूर कर सकता है ?
क्या आपने मंत्र के बारे में कभी समझा है ?
आपके जीवन में मंत्र और मुद्रा कैसे स्वास्थ्य पर यानी आपके मन पर कैसे गहरा संबंध लिया हुआ है ?
मंत्र जप से लाभ :-
आप शायद ही अंदाजा लगा सकते हो कि एक ही मंत्र के द्वारा कई रोगों से छुटकारा पा सकते हैं इतना ही नहीं है मैं जितना भी लीख रहा हूँ बहुत कम है छोटी सी लेख में पुरी बात नहीं बता पाऊंगा फिर भी मैं कुछ बातें ऐसी बताऊंगा जो आपके जीवन में चमत्कार यानी की पूरी तरीके से परिवर्तित कर के रख देगा।
यह मंत्र आपको आत्म विश्रांति दिलाने में भी सहायक है । नाद भक्ति में तो इसका काफी वर्णन किया गया है , और यह सत्य है कि आप स्वस्थ्य अवस्था यानी बगैर किसी साइड इफेक्ट के आप स्वस्थ रह पाएंगे ।
मंत्र क्या है ? :-
मंत्र दो शब्दों से मिलकर बना है । पहला शब्द है मन और दूसरा शब्द त्र = मंत्र।
1.यानी कि मन को तारने की विधि ।
2. मन की शक्ति को जगाने की विधि को मंत्र कहते हैं !
3.विज्ञान तो कहता है मंत्र एक ध्वनि है मंत्र एक साउंड है जिसे निश्चित संख्या में जप करने पर मूल माने निश्चित फ्रिकवेंसी उत्पन्न होती है।

ध्वनि
साउंड यानी ध्वनि ऊर्जा के सिवाय कुछ नहीं है यानी मंत्र का सही अर्थ है ऊर्जा विज्ञान यह भी कहता है कि मनुष्य शरीर और पूरा ब्रह्मांड ऊर्जा का रूपांतरण है यानी ऊर्जा से ही हमारा पूरा ब्रह्मांड बना हुआ है ।
मंत्र सीद्ध कैसे करें :-
1.जब साधक किसी खास मंत्र को किसी खास उद्देश्य के लिए
2. नियमित संख्या में जप करता है !
3. तो शरीर की ऊर्जा एक्टिव हो जाती है और बेहतर तरीके से उनका शरीर काम करने लग जाता है। और पूर्ण रूप से महसूस कर पाएगा जो भी व्यक्ति निश्चित संख्या में निश्चित दिन यानी कि निश्चित समय पर जप करेगा हमारे ऋषि-मुनियों ने इस मानव कल्याण के लिए धार्मिक ग्रंथों में अनेक महत्वपूर्ण मंत्रों का उल्लेख किया है जिनका अपने दैनिक जीवन में उपयोग करके हम कई लाभ पा सकते है !
लेकिन समय के साथ हम उसे भुला दिए थे या हम दैनिक दिनचर्या में इतने व्यस्त हो चुके हैं कि मंत्रों का उपयोग करना और इतना ही नहीं हम तो भरोसा भी नहीं कर पाते जबकि वैदिक मंत्र जैसे कि ओंकार इनके जप करने से सारे सुख सुविधाएं यानी आप जो कल्पना करते हो ज्यादा सोच पाते हैं ज्यादा समझ पाते हैं ज्यादा क्षमता ला पाते सब कुछ मिलने वाला है और इतना ही नहीं मंत्र के नियमित जाप से हमारे शरीर में जितने भी रोग हैं दूर तो होते ही हैं और शरीर में ऊर्जा का ऐसा दबाव होता है जिससे हमारे सारे केंद्र एक्टिव हो सकते हैं ।
और यदि चक्र जागृत हो जाते हैं जिसे योग विज्ञान में कुंडलिनी कहते हैं और हमारे शरीर में मस्तिष्क में एक एनर्जी पैदा होती है जीससे सारे रोग खत्म हो जाएगी।
मंत्र ,मुद्रा, हेल्थ में संबंध
मुद्रा क्या है :-
अब मुद्रा को हम समझेंगे शरीर की कोई भी स्थिति हो जैसे आप सोते हो तो उसे शवासन कहेंगे, खड़े हो तो उसे खड़ाआसन कह सकते हो तो जो भी आप बैठते हो , जो भी स्थिति बनती है वह सब मुद्रा ही होती है !
लेकिन मेडिटेशन के लिए बैठने की कोई भी मुद्रा उपयोगी मानी गई है चाहे वह सुखासन हो, पद्मासन, या सिद्धासन हो ।

मुद्रा , ध्यान
ज्ञान मुद्रा :-
ज्ञान मुद्रा का मतलब होता है तर्जनी उंगली और अंगूठे को मिला कर बैठना ज्ञान मुद्रा है। हमारे शरीर में पांचों तत्व पाए जाते हैं जो कि ब्रम्हाण्ड में है ।
जैसे :-
अग्नि, जल, वायु, पृथ्वी, आकाश , जो ब्रह्माण्ड में तत्व पाए जाते हैं वह तत्व हमारे शरीर में पाए जाते हैं मैं आपको एक उदाहरण देता हूं
उदाहरण :-
1.अंगूठे में है अग्नि तत्व ।
2.और उसके बाद वाली उंगली है जिसे तर्जनी कहते हैं उसमें है वायु तत्व !
3. बीच वाली जो सबसे बड़ी उंगली है उसे मध्यमा कहते है उसमे आकाश तत्व है।
4. और इसके बाद वाली है उंगली है उसे अनामिका कहते हैं इसमें है पृथ्वी तत्व ।
5.और सबसे छोटी वाली अंगुली कनिष्का इसमें जल तत्व है।
मुद्रा विधि :-
अलग – अलग तरीके से अंगुलियों को मिला कर बैठने को हम मुद्रा कहते हैं !
आपको ज्ञान मुद्रा पर बैठना है याने अंगूठे और तर्जनी उंगली को मिलाकर और आप जब मंत्र जाप करते हो तो आपके शरीर में एक रिदम के साथ एक एनर्जी भी उत्पन्न होगा ।
जो आपके अंदर तत्व है और हमारे शरीर में मौजूद तत्व विकृत हो जाती है तभी हमें बीमारियां होती है जैसे कि मैं आपको उदाहरण देता हूं ।
उदाहरण :- अगर आपको जल के तत्व में विकृति हो जाए तो आपको सर्दी, कफ, यानी कि जल से संबंधित रोग हो जाता है !
मंत्र उपचार :-
” ऊँ ” ओंकार मंत्र वैदिक मंत्र बता रखा हूं इसे आप नाभि के केंद्र में ध्यान करते हो तो आपका यह रोग दूर हो जाएगा ! शास्त्र तो कहती है कि आत्मा विश्रांति पाई जा सकती है रोग की तो बात ही क्या है !आप परमात्मा का भी साक्षात्कार कर सकते हो तो आपने पूरी बात समझा !
अब आप प्रत्येक दिन नियमित संख्या में आप माला के साथ इस मंत्र का जाप करें और अपने शरीर में उस दबाव को खुद महसूस करें और तन के सांथ मन के अंदर जो भी रोग है उसे भी ठीक करें
मन के रोग :-
1.जैसे कि मन के अंदर चिड सा होना, 2. क्रोध होना,3. लोभ होना, 4.मोह आदी – आदी सब में सफलता प्राप्त करें !
Focus Word
मंत्र ,मुद्रा, हेल्थ में संबंध में बताये विधि से मंत्र जप करें और मंत्र और मुद्रा विज्ञान के अभ्यास से सारे रोग को दूर करें । मंत्र ज्ञान चैनल पर आध्यात्मिक चर्चा ज्ञान की बातें और आपको भौतिक,यौगिक, अध्यात्मिक ज्ञान की पूरी तरह से जानकारी दी जाती है आप हमारे साथ बने रहिएगा आज के लिए इतना ही । मंत्र ,मुद्रा, हेल्थ में संबंध लेख साधको में सेयर करने की सेवा जरूर करें,आप के कारण 1साधक भी संही मार्ग में लग जाये तो आप को माहा पुन्य लाभ मीलेगा ।
मै परमात्मा से प्रार्थना करता हूं आप का मन साधना और सत्कर्म, सत्संग में लगा रहे।
धन्यवाद