
Shidhiya Sadhna Kaise Kare
Shidhiya Sadhna Kashe Kare
ईस लेख में Shidhiya Sadhna Kashe Kare हम चर्चा करने वाले है । जब भी कोई योगी, जब भी कोई साधना करता है तो सिद्धियां कब प्राप्त होती है और सिद्ध किसे कहते है ? यानी Shidhiya Sadhna Kashe Kare और साधना क्या है ? और हमें क्या प्राप्त करना है ? साधको के मन में उठने वाली सारे सवाल का जवाब ईस Shidhiya Sadhna Kashe Kare लेख में है आप आरम से पढ़े
Shidhiya Sadhna Kashe Kare
साधको का इन सब प्रश्ननो का जवाब एक- एक कर पढें ।और साधना से संबंधित सारे डाऊट्स हटायें, Shidhiya Sadhna Kashe Kare जान कर आप भी साधना कर जीवन की साही मंजिल पायें । Sadhna me success कैसे पायें? और Shidhiya पाने की सारी विधि जानें ।
Shidhiya Sadhna Kashe Kare
Q. साधिका :-
Shidhiya or sadhana सब क्या अलग-अलग है ? या एक है ?
गुरु जी :-
सिद्ध क्या है! जैसे:- कोई व्यक्ति भोजन बनाता है तो भोजन बना रहा है उसे हम ईस उदाहरण से समझते हैं
1. भोजन बनाने का जो कार्य है वो “साधना” है ,
2.साध्य क्या है? :- भोजन पक जाना उनका “साध्य” है
साधन
कोई भी व्यक्ति अगर कही यात्रा करता है तो क्या कहता है कौन से साधन से यात्रा करने वाला हुँ, यानी जीससे यात्रा पुरी करेगा, साइकल, कार,,,,,आपको समझ आ चुका होगा , साधन यानि जिससे वो साधना करने वाला है
जैसे:- माला, आसान। ये साधन है।
तो साध्य क्या है? जिसे वो प्राप्त करना चाहता है जैसे:- ज्ञान, परमात्मा ,परमानंद ! जिस भी शब्द से वो संबोधित करता है ।आनंद स्वरूप है ।
Sadhak
God उसका साध्य है और वो खुद कौन हुआ ? Sadhak है।
shidh
Sadhak सिद्ध कब कहलायेंगे , जैसे हम कहते है कि भोजन पकाने के कर्म कर रहे है, तो भोजन पक जयेगा तब हम क्या कहेंगे, भोजन सिद्ध हो गया तो ,जो साधक है वो अपने साध्य को प्राप्त कर ले तो सिद्ध हो जयेगा।
Q.साधिका:-
Shidhiya कैसे प्राप्त करेगा? कैसे सिद्ध होगा ?
And. गुरु जी:-
जिन साधनों से वह चल रहे है उन साधनों से प्राप्त करेगा । अलग-अलग मार्ग है, अलग-अलग रूचि के लोंगो के लिए । साधक है उसने साधना शुरू किया, सिद्ध वो तब होगा जब वो अपने साध्य को प्राप्त करेगा।
Q. साधिका:-
नही समझ आयी, प्राप्त कब करेगा? कैसे करेगा ?
And. गुरु जी:-
वो उसकी निष्ठा पर निर्भर करता है कि कितना अपने आप पर भरोसा है कितना श्रद्धा और विश्वास करता है वैसे साध्य को प्राप्त करने में इतना देरी तो नही हो सकता
जैसे:- दर्पण तो हमे पहले से प्राप्त है दर्पण को साध्य मानिए जो मैल आयी है जैसे कि धूल या धुंए से ढक गया है अगर दर्पण, तो इस वजह से दर्पण “आईना =आत्मा ” दिख नही रहा है चमक नही रहा है!
वैसे तो शास्त्रों ने कहा है परमात्मा पहले से ही है, आगे भी रहेगा , अभी भी है, तो हमारे मन में जो मैल आ गया है
1. जिससे हम बाहर देखने की क्रिया करने लगे,
2.सुनने की क्रिया करने लगे,
3.बाहर हमने विस्तार कर लिया अपने अंदर हमने झांका नही!
और आप समझीये जैसे कोई व्यक्ति गुलाब-जामुन खाने में रस ले रहा है गुलाब-जामुन खाने से उसे अच्छा महसूस होता है, मीठा महसूस होता है पर वास्तव में गुलाब-जामुन में मीठापन है ?
साधिका:-
हां है, खाने में मीठापन लगता है तो मीठापन है।
And. गुरु जी:-
अच्छा आपका मानना है मीठापन है तो मुझे एक बात बताओ रात्रि में जब आप सो जाते हो, जब आप स्वप्न देखते हो, तो कई बार ऐसा भी होता है कि स्वप्न में वो कोई मीठा वस्तु ग्रहण कर रहा है तो भी तो उसे मीठा एहसास होता है तो क्या उस समय उनके पास गुलाब-जामुन था ?
साधिका:- स्वप्न में था ।
गुरु जी:-
ये जितनी भी आप बातें कर रही हो ये सब मन के विकार है
जैसे :- काम, क्रोध, लोभ, मोह, ईर्ष्या, घमंड यही है वो बादल जो दर्पण के सामने आ गया, mins इन्ही विकार से आत्मा नंद छुप गया , यही वो धूल के कण है जिनकी वजह से हमे अपना दर्पण भास नही रहा है आप चाहे जिस भी संबोधन से कहे गॉड कहे, परमात्मा कहे, आत्मा कहे।
शास्त्र कथन :-
शास्त्रों ने कहा परमात्मा हमारे अंदर पहले से विद्धमान है, आगे भी रहेगा, जो मैल आया है वो हमारे मन के विकार है इसे हटाना है तो वो हमारा दर्पण, आत्मा पहले के जैसे चमकने लगेगा। तो सिद्ध कहलायेगा।
जब वो अपने साध्य को प्राप्त कर लेगा, आनंद स्वरूप है। आपने शास्त्रों में पढ़ा होगा “सच्चिदानंद” मतलब “सच्च” “चित” “आनंद” स्वरूप है ।
Shidhiya Sadhna Kashe Kare
आप का मानना कि कोई लड़की ,किसी वस्तु हमे सुख देगा यह भ्रांति मात्र है। आप कहते है कि वो पहले से गुलाब-जामुन मीठा है एक उदहारण से समझते हैं
उदाहरण
“एक व्यक्ति है उसे हमने अंधेरे में ले जाते है और हम कहते है कि वहाँ पर “भूत” है तो हो सकता है कि वो भूत की परिभाषा जनता हो कोई डरावना , कोई ऐसा भय देने वाला होता है जिससे हमें खतरा हो तो वह व्यक्ति भयभीत हो जयेगा ।
साधिका:-
हाँ, हो जयेगा भयभीत ।
गुरु जी:-
चलिए, उसी स्थान में दुसरे किसी ऐसे व्यक्ति को ले के जाते है जो निद्रा अवस्था में या कोई विक्षिप्त मन का है जिसे आप पागल कहते है तो क्या उनको डर लगेगा वहाँ पे, उन्हें हम चाहे कुछ भी बता दे।
साधिका:-
नही, वह अपनी मर्ज़ी से रहेगा, उसे कुछ भी समझ नही पड़ेगा।
गुरु जी:-
यही बात तो आपको बताने का प्रयास कर रहा हूँ कि जो भी आपके अंदर काम, क्रोध, लोभ, मोह, इर्ष्या, देष जो भी है सुप्त अवस्था मे है , कोई वस्तु इसके कारक हो सकता पर वास्तविकता तो हम ही है,।
रात्रि में हम जब सोते है हमने उस समय शेर देखा स्वप्न में, हममें भय विधमान था, सत्य में तो शेर नही है, अच्छा जो विक्षिप्त व्यक्ति है उसे शेर दिखाओ या बंदूक दिखाओ, छुरी दिखाओ, क्या उसे भय लगेगा ?
साधिका:-
नही कुछ भी नही लगेगा उसे तो ।
गुरु जी:- तो क्या शेर नही खयेगा उसे ?
साधिका:- खायेगा, शेर को भूख लगा तो खायेगा ।
गुरु जी:- विक्षिप्त व्यक्ति क्यों नही डरा फिर?
साधिका:- उस व्यक्ति को समझ ही नही है ।
गुरु जी:- यही बात है हममे जो सुप्त अवस्था मे है वो वस्तु कारक मात्र है,
आनंद हमारे अंदर ही है, क्रोध हमारे अंदर ही है, व्यक्ति वही है जिस व्यक्ति को देख कर हम क्रोध करते है लेकिन कुछ लोग उसी व्यक्ति को देखकर प्रेम करते है, व्यक्ति तो एक ही है अब आप बताओ व्यक्ति में क्रोध है या हममे क्रोध है ?
Shidhiya Sadhna Kashe Kare
साधिका:- हम में ही क्रोध है इसलिए हमें उसे देख कर क्रोध होता है ।
गुरु जी:-
जिस व्यक्ति को हम नफरत करे उस व्यक्ति को कई लोग प्रेम भी कर सकते है और ज्यादा संख्या हो सकती है। काम, क्रोध, लोभ, मोह, ईर्ष्या, देष हम में ही है, मन के विकार है इन्हें हम सिद्ध कर लेंगे, सम कर लेंगे । हम भी महान हो सकते हैं।
Shidhiya Ka Abhyash
अभ्यास तीन प्रकार से होता है
1.पहला:- क्रिया योग,
क्रीया योग ईसे भी पढें https://mantragyan.com/kriya-yog-samadhi/
2. दूसरा:- ज्ञान योग,
3. gyan yog अभी जो चर्चा चल रही है ये ज्ञान योग का अंग है,
हम ज्ञान कर रहे है, ज्ञान की चर्चा कर रहे है जब हम साध्य को पा लेंगे तब हम सिद्ध कहलायेंगे ।
साधिका:- सिद्ध स्थिति को हम कैसे जानेंगे ?
गुरु जी:- अभी मैने बताया क्रिया-योग के द्वारा, हठ करे आप, प्राण-वायु को साधे या फिर ज्ञान योग का सहारा ले जैसे अभी मैंने बताया कि वास्तव में ये जो जितने भी मन के विकार है हम में विधमान है एक स्थिति ये है अभ्यास करते-करते जब हम में मजबूती आ जयेगी तो हम ही आनंद स्वरूप है ।
Q. साधिका:-
ये तो ठीक है लेकिन हम युटुब में दखते है ये साधना करो, वो साधना करो, कई प्रकार की साधना है तो क्यों है इतनी साधनाये ?
And. गुरु जी:-
आपने विस्तार किया, आत्मा तो एक ही है, आनंद स्वरूप तो एक ही है, जीतने सारे लोग उतने सारे विचार । सबकी अलग-अलग रुचि है ना, सबकी अलग-अलग संकल्प है ,यानि सब अलग-अलग वस्तु पाना चाहते है जबकि आत्मा तो पाने की चाहत छोडने से मिलेगा।
आत्मा नंद पाने का एक मार्ग सेवा का भी है Shidhiya Sadhna Kashe Kare लेख आपको भ्रांति हटाने में सहायक रहा तो साधको में सेयर करने की पुन्य लाभ अवश्य कमायें। साधना शिविर में शामिल हों वे साधना सीखे और Shidhiya Sadhna Kashe Kare जानने के लिए युटुब पर देखें YouTube.com/mantragyan मै प्रमात्मा से प्रार्थना करता हूँ आप का मन साधना और प्रमात्मा मे लगे।