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Akadashi Varat Vidhi
Akadashi Varat Vidhi

Akadashi Varat Vidhi
Akadashi Varat के लाभ :-
17 जनवरी 2019 गुरुवार को रात्रि 12:04 से 17 जनवरी, गुरुवार को रात्रि 10:34 तक Akadashi Varat है ।
17 जनवरी 2019 गुरुवार को एकादशी का व्रत
(उपवास) रखें ! और परिश्रम का काम है तो एक समय का सात्विक भोजन करें ।
एकादशी व्रत से अक्षय पुण्य यानि Akadashi Varat के समान और कोई पुण्य नहीं है !
जो पुण्य सूर्यग्रहण में दान करने से होता है, उससे कई गुना अधिक पुण्य Akadashi Varat से होता है !
जो पुण्य गौ-दान करनें सुवर्ण-दान, हजारों यज्ञानुष्ठान से होता है, उससे अधिक पुण्य एकादशी के व्रत और ईस दिन गुरू मंत्र के अनुष्ठान से होता है !
Akadashi Varat के दिन गुरू मंत्र करने वालों के पितर नीच योनि से मुक्त होते हैं और अपने परिवार वालों पर प्रसन्नता बरसाते हैं ।इसलिए यह Akadashi Varat करने वालों के घर में सुख-शांति आर्थिक उन्नति बनी रहती है ।
और मान – सम्मान, धन-धान्य, पुत्रादि की वृद्धि होती है !
कीर्ति यश बढ़ती है, श्रद्धा-भक्ति बढ़ती है, जिससे जीवन रसमय ,आनंद मय बनता है !
परमात्मा की प्रसन्नता प्राप्त होती है ,आत्म ज्ञान की ओर मन लगता है ।
पहले समय में राजा नहुष, अंबरीष, राजा गाधी आदि जिस ने भी एकादशी का व्रत अनुष्ठान किया, उन्हें इस पृथ्वी का समस्त ऐश्वर्य प्राप्त हुआ ।
ध्यान, मानसिक साधना विधि ईसे भी पढें
https://mantragyan.com/
प्रभु शिव जी ने नारद से कहा है : –
Akadashi Varat करने से और इस दिन गुरू मंत्र जप से मनुष्य के सात जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं, इसमे कोई संशय नहीं है । एकादशी के दिन किये हुए व्रत, गौ-दान , गुरू भक्ति, गुरू सेवा, आदि का अनंत गुना पुण्य होता है !
Akadashi Varat के दिन करने योग्य :-
एकादशी को दिया जला के विष्णु का सहस्त्र नाम पढ़ें …….विष्णु सहस्त्र नाम नहीं हो तो 11 माला गुरु मंत्र का जप कर लें l अगर घर में झगडे होते हों, तो झगड़े शांत हों जायें ऐसा हांथ में जल ले कर संकल्प करके विष्णु सहस्त्र नाम पढ़ें या गुरू मंत्र पढें तो घर के झगड़े भी शांत होंगे !
एकादशी व्रत के दिन ये सावधानी रखें !
महीने में 15 – 15 दिन में एकादशी आती है एकादशी का व्रत पाप और रोगों को Khatm कर देता है लेकिन
1. वृद्ध !
2. बालक और
3. बीमार व्यक्ति एकादशी न रख सके त तो भी उनको हल्की भोजन करनी चाहिए !
Akadashi Varat करने वाले को अपने गुरू, मंत्र और ईस्ट को एक मान कर श्रद्धा पूर्वक 1. गुरू मंत्र का जाप, अपने गुरू पाठ, सेवा और त्रिकाल संध्या करना चाहिए। मौन रख सके तो अच्छी बात है ब्रम्हचर्य का कडाई से पालन करना चाहिए।
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