
Sadhana ke liye Sanhi Samay kab ha
Sadhana ke liye Sanhi Samay kab ha

Sadhna
साधना के लिये श्रेष्ठ सयय और श्रेष्ठ
स्थान:-
वैसे तो साधना किसी भी स्थान में किसी भी समय किया जा सकता है ,लेकिन but नए साधकों के लिए यह बड़ी-बड़ी ज्ञान की बातें उचित नहीं क्योंकि because भीड़ और उपद्रवी लोगों के बीच हम ध्यान लगाना चाहे ,या मंत्र जप करना चाहे तो हंसी ठिठोली की विषय होगी, और and ध्यान लगेगा भी नहीं ,
Sadhana ke liye Sanhi Samay kab ha
साधना में सफलता ईसे भी पढें https://mantragyan.com/bhakti-or-gyan-yog/sadhna-me-success-sadhna-ki-savdhaniya-kya-ha/
साधना नियम :-
1. शांत स्थान पर ही अपनी नीत्य नियम करना चाहिए !
2. प्रतेक दिन नियमित स्थान में ही साधना करें ।
3. वैसे तो सबसे बेहतर साधना स्थान अपने गुरू की सानिध्य में करना है।
शिष्य जब गुरू की निगरानी में रहता है , तब उसका Then its मन इन्द्रिय-विषयक भोग विलासों से विमुख बनने लगता है। गुरूओं एवं संतों के समागम (सत्संग) से, धार्मिक ग्रंथों के अभ्यास के, सात्त्विक भोजन से, and प्रभु के नाम (मंत्र जप) आदि से From etc.सात्त्विक वृत्ति में वृद्धि होती है।
Sadhana ke liye Sanhi Samay kab ha
साधना :-
साधना यानी, नीत्य संध्या से तन-मन की, अंतःकरण की शुद्धि हो जाती है । Such as हम रोज स्नान करते है ,रोज नींद करते है स्वास्थ्य के लिए, ऐसे ही मानसिक -बौद्धिक स्वस्थता के लिए भी नीत्य संध्या यानी साधना करना चाहिए।
1.संध्या में प्राथना होता है,
2.प्राणायाम होता है,
3.जप होता है,
4.ध्यान होता है,
5.शास्त्र चिंतन होता है,
किसी की जन्म कुंडली में यदि कीतनो ही नीच योग क्यो न हो, आपके ज्योतिष आप के लिये मरन तुल्य कष्ट का भी भविष्य वाणी क्यो ना करा हो जो ईस नियम से साधना करते हैं , संबंधित दोष स्वतः ही समाप्त हो जाता है ,मंद हो जाता है।
आज जितना आदमी बीमार,दुःखी, अशांत है उतना संध्या करने वाले नही होता, साधना आध्यात्मिक स्वास्थ्य के साथ साथ शरीर स्वास्थ्य में भी मदद करती है।
जिस प्रकार मूर्ख मनुष्य दो पैसे की वस्तुओं के पीछे अपना चित्त बिगाड़ देता है उस प्रकार साधक को वस्तुओं के पीछे अपना जीवन बरबाद न कर अपनी शक्ति को साधना से जगाना चाहिए।
Focus word :-
तू अजर, अमर आत्मा-परमात्मा का ज्ञान प्राप्त करके यहीं पर मुक्ति का अनुभव कर ले । Sadhana ke liye Sanhi Samay kab ha लेख में बताये विधि आपका सहायता करेगी, आप साधना कर अपने आप को जगाने की साधना करें न ,की कीसी देव को मनाने की ,साधना से तन-मन की, अंतःकरण की शुद्धि हो जाती है। उसके बाद सूख दूख में चित् बिगड़ता नहीं।
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