- Home
- Dhyan Smadhi
- dhyan samadhi hindi in success

dhyan samadhi hindi in success
dhyan samadhi hindi in success

dhyan samadhi
इस लेख में dhyan samadhi में success के तरीका पर चर्चा वाले हैं ,और किसी भी sadhna मे success के मूलभूत नियम क्या है। किसी भी साधना हम करते हैं, तो गुरु की क्या भूमिका होता है , यानि हम गुरु के महत्व के बारे मे चर्चा करेंगे।
guru क्यों जरूरी है :-
इस लेख में guru ka mahatv के बारे में जानेंगे। लेकिन dhyan samadhi में success का लेख तभी समझ आएगा जब पूरा लेख पड़ोगे पढोगे।
dhyan samadhi hindi in success
एक कथा :-
एक Sadhak ने Sadhna me कैसे Success पाया उनकी जीवनी पढें
बिहार प्रांत में जन्मा एक ऐसा लडका जो दिल का बिल्कुल साफ था , उन्होंने कैसे guru ki mahatv को समझा। कैसे उन्होंने गुरु की आशिर्वाद प्राप्त किया?
प्यारे!
18-19 साल का उम्र रहा होगा, और उनका नाम प्रताप था। एक बार भोजन करते हुए अपनी घर पर जो बडी भाभी थी उनसे उसने कहा जरा नमक दे दो भाभी । भाभी इतने मे चीड गई ,और उन्होंने क्या कहा कि इतना बडा हो गया बैल जैसे, कमाता तो है नही और नमक, कभी सब्जी माँगता है जरा कमाओ फिर नमक माँगना।
प्यारे!
उस लडके को यह बात चोट लग गई, उसके दिल मे गहरे अघात लगा, उसने कहा अच्छा भाभी कमाऊंगा तभी नमक मागूँगा और वह उसी समय उठ कर चल दिया। पास मे पैसे तो थे नही उसने सुन रखा था कि मुम्बई मे कमाना असान होता है।
वह बिहार से ट्रेन मे बैठ गया और मुम्बई पहुंचा काम धन्धे के लिए इधर- उधर भटकता रहा परन्तु अंजान व्यक्ति को कौन काम दे और क्यों काम दे आखिर भूख प्यास से व्यकुल हो कर रात मे एक शिव मंदिर था वहाँ उसने विश्राम किया और भगवान से प्राथना करने लगा , भगवान आज मुझे भोजन नसीब नही हुआ काम भी नही मिला तुही मेरा रक्षा करना।
प्यारे!
दूसरे दिन की सुबह उठा और वह बिहारी लडका थोडा सा पानी पीकर निकला दूर तक घूमा लेकिन इस दिन भी कहीं काम न मिला, रात्री को पुनः उसी मंदिर मे वापिस आया जहाँ पहला विश्राम किया था उसने और पुनः भूखा प्यासा सो गया।
dhyan samadhi hindi in success
ऐसा करते-करते तीसरा दिन हुआ लेकिन शास्त्र कहती है, हर जीव सच्चीदानंद परमात्मा से जुड़ा है जैसे शरीर के किसी भी अंग मे जन्तु काटले तो तुरंत हमारा हाथ वहाँ पहुँच जाता है, क्योंकि वहाँ वह अंग हमारे शरीर से जुड़ा है, वैसे ही आपका व्यष्टि श्वास समष्टि से जुड़ा है, उस लडके के दो दिन तक भूखा रहने से प्रकृति मे हलचल मच गई प्रकृति मे उथल-पुथल होने लगा तीसरी रात्री एक महात्मा आये और बोले “बिहारी बेटा “! बिहारी उठ तु दो दिन से भूखा है। ऐ ले मिठाई खा ले कल सुबह नौकरी मिल जायेगी चिंता मत करना बेटा सब ईश्वर का मानना अपना कुछ भी न मानना ।
कथा कहती है, महात्मा कमर मे सिर्फ कपडा लपेटे हुए थे और रंग काला था ठीगना सा था ।लडके ने मिठाई खाई और उसे नींद आ गई। सुबह काम के तलाश मे निकला तो एक होटल वाले ने उसे नौकरी पर रख लिया, लडके का काम के साथ-साथ स्वभाव भी अच्छा था यानी छल-कपट से बिल्कुल दूर था। प्रति दिन प्रभु की स्मरण करता था और प्राथना करता था।
dhyan samadhi hindi in success
होटल वाले का कोई संतान था नही उसने उसी लडके को अपना पुत्र मान लिया चूँकि उस लडके का स्वभाव बहुत ही सात्विक था, जब होटल मालिक मर गया तो ओ लडका ही दुकान का मालिक बना अब उसने सोचा कि भाभी ने जरा सा नमक माँगने से मुझे खरा-खोटा सुना दिया था उसे भी तो पता चले उनका देवर लाखो कमाने वाला हो गया है । उन्होंने पाँच हजार का ड्राप बनाया और अपने भाभी को भेज दिया, उसको भी पता चलना चाहिए कि साल दो साल मे ओ कितना अमीर हो गया तब महात्मा स्वपन मे आये और बोले कि तु अपना मानने लग गया है न ,उसने मित्रो स्वपन मान कर सुना-अनसुना कर दिया ।
और कुछ समय बाद फिर से पाँच हजार ड्राप अपने भाभी के नाम पर भेज दिया , लेकिन इस घटना के बाद वे काफी बीमार रहने लगा काफी चिंतित और दुःखी रहने लगा, इतने मे महात्मा पधारे और बोले तु अपना मानने लग गया है न , किस लिए तु संसार मे आया था और क्या-क्या करने लग गया ।आयु नष्ट हो रही है और जीवन तबाह हो रहा है समय बीतता जा रहा है, क्या कर रहा है तु किसको धोखा दे रहा है तुझे मैने कहा था ना, बेटा अपना मत मानना, तु अपना क्यों मानता है ।
लडका ने कहा गुरु जी गलती हो गई अब आप जो कहेंगे वही करूँगा महात्मा जी बोलते हैं कि बेटा ऐसा कर तीन दिन मे तु अपना जो भी सामान है उसे गरीब लोगो मे लुटा दे, बिल्कुल खाली हो जा सारे वस्तुएँ सारे सामान, सारे रूपिए गरीबो मे दान कर सब लुटा दे !
dhyan samadhi hindi in success
तब महात्मा के कहे अनुसार :- उस लडके ने ऐसा ही किया। महात्मा जी बोले चल मेरे साथ अब महात्मा जी उसे मुम्बई से कटनी ले गया कटनी के। पास एक नीम्बा नामक गाँव है वहाँ से थोड़ी ही दूर मे बैलोर की गुफा है वहाँ उसको बंद कर दिया और कहा बैठ जा अंदर बाहर बिल्कुल नही आना , जगत की आशक्ति छोड़ एकाग्रता कर । एकाग्रता और अनाशक्ति ये दो पाठ पढ ले इसमे सब आ जयेगा ।जब तक ये पाठ पूरे न होंगे तब तक गुफा के दरवाजा नहीं खोलूँगा और तब तक आप बाहर नही आना , खिडकी मे मैं भोजन रख दिया करूँगा और ये डिब्बा रखता हूँ जो सौंचालय का काम करेगा उसमे सौच कर लेना फिर बाहर रख देना सफाई हो जायेगी।
प्यारे!
इस प्रकार वह वर्षो भीतर ही रहा , उसका देखना, सुनना, चक्खना, खाना ,पीने की लौलुप्ता सब कम हो गई । आत्मिक बल बढ़ गया ,शांति बढ़ने लगा , नींद को तो उसने जीत ही लिया था ।
इस प्रकार 11साल हुए, अंदर रहा , साधना करते रहा , तब महात्मा ने जरा सा तात्विक उपदेश दिया और दुनिया के सारे वैज्ञानिक यहाँ तक की जितने भी बडे उँचे अवधे वाले हैं , को ज्ञान प्राप्त नही हुआ । वह धन उन्हें प्राप्त हुआ ऐसा महा धन प्राप्त कर वह बिहारी लडका महापुरुष बन गया महात्मा ने कहा अब तुम मुक्त आत्मा बन गये हो तत्वज्ञानी बन गये हो
dhyan samadhi hindi in success
बेटा, मौज है तो जाओ विचरण करो तब वे महात्मापुरूष बिहार मे अपने गाँव के निकट कुटिया बना कर रहने लगा किन्तु वह किसी से कुछ न कहते शांति से बैठे रहते सुबह 6 से 10 कुटिया का दरवाजा खोलते और उस समय बिहारी अपना कुटिया का झाडू कर लिया करते, जैसे खाना पकाना है, कुछ लोगो से मिलना जुलना है सारे कार्य उसी समय में कर लिया करते, फिर कुटिया का दरवाजा बंद हो जाता। वे अपने मीठे वचनों से मुस्कान से , ताप ,पाप हरने वाला शांति देने वाला हो गया ।
उन्होंने इतना ज्ञान उनके अंदर से जागृत हुआ कि चार वेद पढे हुए लोग भी न समझ पाये ऐसा उसे अनुभव हुआ ऐसे अनुभव के धनी हो गये के बडे – बडे धनांडय , उद्योगपति , विद्वान बडे – बडे महापुरुष उनके दर्शन करके लाभवनित होते थे ।
संत जन ने कहा है ईश्वर के दर्शन के बाद ही आत्मा – परमात्मा का साक्षात्कार प्राप्त करना बाकी रह जाता है शास्त्रो मे आता है रामकृष्णापरमहंस, अर्जुन को भी ईश्वर के दर्शन होने के बाद भी आत्मसाक्षात्कार करना बाकी रह गया, जो उन्होने कर लिया था ।
बिहारी लडका मे सिर्फ तीन बात थी :-
1. पहला जो महात्मा जी उनके गुरू जी का आशिर्वाद, कृपा उन पर था ।
2. दूसरा एकाग्रता और
3. तीसरा अनाशक्ति ।
इस कथा से हम ने यह सीखा कि परमात्मा प्राप्ति मे मुख्य भूमिका कौन – कौन सी बाते निभाति है सिर्फ तीन बातें अनाशक्ति, एकाग्रता और अपने गुरु का आशिर्वाद यानि गुरू की कृपा ।
“तो संतों आज का यह हमारा पोस्ट कैसा रहा, प्लीज कॉमेंट करके बताये और लाईक, शेयर करना न भूले ”
साधना से संबंधित जानकारी के हमारे लिये यूटूब चैनल पर जरूर जायें ।
चैनल :- YouTube.com/mantragyan