- Home
- KHASH DAY PANCHANG
- Kamda Akadashi Mahatv or vidhi

Kamda Akadashi Mahatv or vidhi
Kamda Akadashi Mahatv or vidhi
ईस लेख में Akadashi Mahatv vidhi के बारे में पौराणिक इतिहास का चर्चा कीया गया है। Kamda Akadashi Mahatv को ध्यान में रखते हुए जो भी साधक मनोकामना पूर्ण करना चाहते हैं इस नियम का पालन करें।
Kamda Akadashi Mahatv Katha
युधिष्ठिर ने पूछा : –
वासुदेव ! आपको नमस्कार है । कृपया आप यह बताइये कि चैत्र शुक्लपक्ष में किस नाम की Akadashi होती है ? ।
भगवान श्रीकृष्ण बोले : –
राजन् ! एकाग्रचित्त होकर यह पुरातन कथा सुनो , जिसे वशिष्ठजी ने राजा दिलीप के पूछने पर कहा था ।
दिलीप ने पूछाः-
भगवन् ! मैं एक बात सुनना चाहता हूँ । चैत्र मास के । शुक्लपक्ष में किस नाम की एकादशी होती है ?
वशिष्ठजी बोले : –
राजन् । चैत्र शुक्लपक्ष में ‘ कामदा ‘ नाम की Akadashi होती है । वह परम पुण्यमयी है । पापरुपी ईंधन के लिए तो वह दावानल ही है ।
प्राचीन काल की बात है :-
नागपुर नाम का एक सुन्दर नगर था , जहाँ सोने के महल बने हुए थे । उस नगर में पुण्डरीक आदि महा भयं कर नाग निवास करते थे । पण्डरीक नाम का नाग उन दिनों वहाँ राज्य करता था । गन्धर्व , किन्नर और अप्सराएँ भी उस नगरी का सेवन करती थीं । वहाँ एक श्रेष्ठ अप्सरा थी , जिसका नाम ललिता था । उसके साथ ललित नामवाला गन्धर्व भी था । वे दोनों पति पत्नी के रुप में रहते थे । दोनों ही परस्पर काम से पीड़ित रहा करते थे । ललिता के हदय में सदा पति की ही मूर्ति बसी रहती थी और । ललित के हृदय में सुन्दरी ललिता का नित्य निवास था ।
Kamda Akadashi Mahatv vidhi
एक दिन की बात है । नागराज पुण्डरीक राजसभा में बैठकर मनोरन कर रहा था । उस समय ललित का गान हो रहा था किन्न उसके साथ उसकी प्यारी ललिता नहीं थी । गाते गाते उसे ललिता का स्मरण हो आया । अतः उसके पैरों की गति रुक गयी और जीभ लड़खड़ाने लगी । नागों में श्रेष्ठ कर्कोटक को ललित के मन का सन्ताप ज्ञात हो गया , अतः उसने राजा पुण्डरीक को उसके पैरों की गति रुकने और गान में त्रुटि होने की बात बता दी । कर्कोटक की बात सुनकर नागराज पुण्डरीक की आखे क्रोध से लाल हो गयीं ।
Kamda Akadashi Mahatv or vidhi
उसने गए हुए कामातुर ललित को
शाप दिया : –
दूर्बुद्धी ! तु मेरे सामने गान करते समय भी पत्नी के वशीभूत हो गया , इसलिए । राक्षस हो जा । महाराज पुण्डरीक के इतना कहते ही वह गन्धर्व राक्षस हो गया । भयंकर मुख , विकराल आखें और देखनेमात्र से | भय उपजानेवाला रुप – ऐसा राक्षस होकर वह कर्म का फल भौगने लगा । ललिता अपने पति की विकराल आकति देख मन ही मन बहुत चिन्तित हुई । भारी दुःख से वह कष्ट पाने लगी ।
साधना में सफलता के लीये जरूर पढें https://mantragyan.com/sadhnaye/sadhna-me-success-ke-liye/
सोचने लगी : – क्या करु ? कहाँ जाऊ ? मेरे पति पाप से कष्ट पा
वह रोती हुई घने जंगलों में पति के पीछे पीछे घूमने लगी । वन में उसे एक सुन्दर आश्रम दिखायी दिया , जहां एक मुनि शान्त बैठे हुए । किसी भी प्राणी के साथ उनका वैर विरोध नहीं था । ललिता । शीघ्रता के साथ वहाँ गयी और मुनि को प्रणाम करके उनके सामने खडी हई । मनि बड़े दयाल थे । उस दु : खिनी को देखकर वे इस प्रकार बोल्ने शभे । तम कौन हो ? कहाँ से यहाँ आयी हो ? मेरे । सामने सच सच बताओ ?
ललिता ने कहा : –
महामुने ! वीरधन्वा नामवाले एक गन्धर्व हैं । मैं उन्हीं महात्मा की पुत्री हैं । मेरा नाम ललिता है ।
मेरे स्वामी अपने पाप दोष के कारण राक्षस हो गये हैं । उनकी यह अवस्था देखकर मुझे चैन नहीं है । ब्रह्मन् ! इस समय मेरा जो कर्तव्य हो , वह बताइये । विप्रवर ! जिस पुण्य के द्वारा मेरे पति ,राक्षसभाव से छुटकारा पा जायें , उसका उपदेश कीजिये ।
ऋषि बोले : –
भद्रे ! इस समय चैत्र मास के शुक्लपक्ष की कामदा नामक एकादशी तिथि है , जो सब पापों को हरनेवाली और उत्तम है तुम उसीका विधिपूर्वक व्रत करो और इस व्रत का जो पण्य हो , उसे अपने स्वामी को दे डालो । पुण्य देने पर क्षणभर में ही उसके शाप का दोष दूर हो जायेगा ।
राजन् । भनि का यह वचन सुनकर ललिता को बड़ा हर्ष हुआ उसने एकादशी को उपवास करके द्वादशी के दिन उन ब्रह्मर्षि के समीप ही भ गवान वासुदेव के ( श्रीविग्रह के ) समक्ष अपने पति के उद्धार के लिए यह वचन कहाः मैने जो यह कामदा एकादशी का उपवास व्रत किया है , उसके पुण्य के प्रभाव से मेरे पति का राक्षसभाव दूर हो जाय ।
Kamda Akadashi Mahatv or vidhi
वशिष्ठजी कहते हैं : –
ललिता के इतना कहते ही उसी क्षण ललित का पाप हो गया । उसने दिव्य देह धारण कर लिया । राक्षसभाव चला गया और पुनः गन्धर्वत्व की प्राप्ति हुई ।
नपश्रेष्ठ । ६ दोनों पति पत्नी कामदा ‘ के प्रभाव से पहले की अपेक्षा भी अधिक सुन्दर रुप धारण करके विमान पर आरुढ़ होकर अत्यन्त , शोभा पाने लगे । यह जानकर इस एकादशी के व्रत का यत्नपूर्वक | पालन करना चाहिए । मैंने लोगों के हित के लिए तुम्हारे सामने इस व्रत का वर्णन किया है । ‘ कामदा Akadashi ब्रह्महत्या आदि पापों तथा पिशाचत्व आदि दोषों का नाश करनेवाली है । राजन् ! इसके पढ़ने और सुनने से वाजपेय | यज्ञ का फल मिलता है । ।
Focus word :-
Kamda Akadashi Mahatv vidhi लेख में बताए हुए लाभ को ध्यान में रखते हुए व्रत उपवास आरंभ कर अध्यात्मिक मार्ग पर चलने का शुभ आरंभ करें
Kamda Akadashi Mahatv vidhi लेख साधको में सेयर कर अपार पुण्य लाभ अवश्य कमाऐ। ताकी सभी साधको में Akadashi Mahatv का सुप्रचार हो।