
Ishwar ko kaise khoje swami vivekanand life
Ishwar ko kaise khoje swami vivekanand life

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This article Ishwar ko kaise khoje swami vivekanand life में गुरु की कसौटी and guru की उपयोगिता पर चर्चा करेंगे। swami vivekanand की जीवनी पर Charcha karenge , so that कैसे गुरू तत्व को ईश्वर तत्व को आत्म सात कीया। अगर आप साधना कर रहे है, तो ईस आर्टिकल को पूरा पढें। this article से आप समझ सकते हैं कि आप के सांथ क्या – क्या बाधाये आयेगा।
Ishwar ko kaise khoje :-
जब कोई व्यक्ति संसार में सफलता हासिल करने निकलता है तो सभी रिश्तेदार उसका हौसला बढ़ाते हैं, जब वह किसी कला में कुशल होने की कोशिश करता है ,तो सभी मित्र और शिक्षक उसे हिम्मत देते है ,प्रोत्साहित करते हैं If आप मिस इंडिया या मिस यूनिवर्स बनने की कोशिश करें तो आपके लिए बहुत सारे लोग तालियां बजाने को तैयार हो जाते हैं ,मगर ईश्वर की खोज करने के लिये नीकले तो कोई आपको प्रोत्साहित नहीं करता, यह मार्ग ऐसा है कि सद्गुरु के अलावा इस मार्ग पर आपका हाथ पकड़ कर और कोई चलाने में सक्षम नहीं ।
Ishwar ko kaise khoje swami vivekanand life
इस समय संसार में एक Sadguru ही सच्चे आश्रय दाता है शिव पथ प्रदर्शक हैं इस मार्ग पर प्रारंभ में आप को अकेले ही चलना होगा नरेंद्र “swami vivekanand” भी जब ईश्वर की खोज के लिए निकले तो शुरुआत में सभी लोगों ने इसे उनका पागल पन ही समझा लेकिन But उनके एक दूर के रिश्ते दार रामचंद्र दत्त जिनके साथ उनकी अच्छी मित्रता हो गई थी ,उन्होंने इस मार्ग में नरेंद्र को प्रोत्साहित किया,
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Because वह नरेंद्र को अच्छी तरह से समझते थे ,जब नरेंद्र ने बीए की परीक्षा दे दी तो घर में उनकी विवाह की बातें होने लगी ,because उनके रीस्ते दार शादी के लीये रिश्ते की बात आगे बढ़ानी चाहे तो नरेंद्र ने साफ मना कर दिया, because बचपन से ही उन्हें भोग या संसार में थोड़ी भी रुचि नहीं थी, उन्हें तो जीवन के अंतिम सत्य की तलाश थी नरेंद्र “वीवेकानंद जी “को यह तो चेतना थी कि मुझे अंतिम सत्य को पाना है ।
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परंतु उन्हें सद्गुरु के विषय में कुछ ज्ञात ना था , इस विषय पर नरेंद्र ने डॉ रामचंद्र दत्त से अपने मन की बात कही , “दादा मैं विवाह नहीं करना चाहता” because विवाह मेरी आवश्यकता नहीं है , बल्कि यह तो मेरे लक्ष्य के बिल्कुल विपरीत है रामचंद्र ध्यान से नरेंद्र की बात सुन रहे थे, They नरेंद्र को एक टक देखा और कहा ! तो क्या है ? तुम्हारा लक्ष्य उच्च शिक्षा हासिल करना , पद प्रतिष्ठा प्राप्त करना , समाज सुधार करना या फिर देश को स्वतंत्र करना , क्या है ? नरेंद्र ने कहा नहीं मेरा लक्ष्य तो केवल ईश्वर की खोज करना है , मुझे अपने लिए कोई लड़की नहीं And न ही विशेष कुछ नहीं , केवल ईश्वर का ही साथ चाहिए ।
Ishwar ko kaise khoje
आप बाबा को समझा दे कि हर स्त्री मेरे लिए केवल मां समान है, मैं हर स्त्री को किसी और दृष्टि से देख ही नहीं सकता नरेंद्र का जवाब सुनकर राम चंद्र दत्त आश्चर्य चकित हुए उन्होंने नरेंद्र को समझाते हुए कहा इतने सारे लोग ब्याह करते ही हैं उनके बाल बच्चे हैं , उन्हें पालते हैं पोशते हैं, मैं भी तो मंदिर जाता हू , And ईश्वर की भक्ति करके पुण्य अर्जित करते हैं , तो तुम भी विवाह कर लो और ईश्वर की खोज करे,! लोग मंदिर जाते हैं ,और प्रसाद पाते हैं ईश्वर नहीं नहीं पाते मैं तो साक्षात ईश्वर का ज्ञान ईश्वर का प्राप्ति चाहता हूं
Manash dhyan vidhi PADE
https://mantragyan.com/dhyan-smadhi/what-is-manash-dhyan-and-best-method/
। मैं ईश्वर को वैसे ही पाना चाहता हूं जैसे की पौराणिक गाथा में एक वर्णन आता है , कि संतों ने ईश्वर को पाया है कृपया आप मेरी भावनाओं को समझें , and मेरे पक्ष में बाबा से बात करें राम चंद्र दत्त नरेंद्र को देख कर मुस्कुराए and उसके कंधों पर हाथ रखते हुए कहा if तुम अपनी इच्छा से सांसारिक बंधनों से पार रह कर ईश्वर को पाना चाहते हो , तो दक्षिणेश्वर जाकर श्री राम कृष्ण की शरण में जाओ वही तुम्हें सही मार्ग दिखा पाएंगे नरेंद्र ईश्वर के मार्ग पर एक सद्गुरु ही सच्चे आश्रय दाता होते हैं राम कृष्ण परमहंस सच्चे सतगुरु।
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यह घटना नरेंद्र के जीवन को अलग ही मोड़ पर ले गए, नरेंद्र के जीवन को रामकृष्ण परमहंस रूपी चित्रकार का स्पर्श हुआ तो उनके जीवन में व्यापक परिवर्तन हुआ, दरअसल लोग ईश्वर को तभी याद करते हैं “जब उनके जीवन में कोई समस्या आती है ” लेकिन नरेंद्र का जीवन तो सुख सुविधा से संपन्न था फिर फिर भी उसके मन में ईश्वर को पाने की लालसा में प्रायः देखा जाता है, कि साधक के पास कुछ धन आ जाता है तो उस दधन से वह स्वयं का पतन कर लेता है, अथवा तो साधक के पास बिल्कुल धन ना हो तो वह ईश्वर का मार्ग त्याग देता है, but लेकिन नरेंद्र ने ऐसा ना किया सत्य की खोजी के अंदर यह भावना जागने चाहिए, so that मुझे सत्य ही चाहिए पहले मै ईससे बेखबर था मुझे पता ना था, अब जब सद्गुरु की कृपा से संतों की कृपा से खबर मिल गई है ,तो मैं क्यों रुकूं अब मुझे केवल परम सत्य पाना है , ऐसी Such पिपासा हर साधक के अंदर होनी चाहिए , अगर हमारे अंदर भी नरेंद्र की भांति ईश्वर को पाने की सच्ची प्यास है ,तो सत्य हमारे लिए बहुत सीधा सहज और सरल होगा , because क्योंकि हम सभी के जीवन में परंम गुरू का सतगुरु का वरद हस्त हम सभी साधकों के ऊपर हैं, तभी तो आप तक यह सत्संग पहुच रहा है।
or pade:-
परम सत्य जानने के लिए मात्र प्यास जागना सबसे मुख्य कदम होता है, बाकी Trishna निवारण के लिए तो सद्गुरु पहले से ही अमृत कुंभ लेकर हमारे प्रत्यक्ष खड़े ही हैं। Because लेकिन जब तक किसी के मन में असली प्यास जागृत नहीं होती तब तक व्यक्ति तमाम बाहरी बातों में ही उलझा रहता है , अध्यात्म का मार्ग ऐसा है कि यहां प्यासे के पास त्रिशा निवारक ईश्वर उसे बात करनी सद्गुरु के रूप में अवश्य आ जाते हैं। एक क्षण का विलंब नहीं लगता सतगुरु ही वह परम चेतना है, परम सत्तता है ,जो भी गाड का पूर्ण तृप्ती का अनुभव करा सकते हैं ,नरेंद्र की तडप ने उन्हें स्वामी राम क्रष्ण से कराई , and नरेंद्र ने अपना पूरा जीवन उनके श्री चरणों में अर्पित कर दिया जिन्हें आज हम सभी swami vivekanand जी के नाम से जानते हैं ।
Focus Word :-
Ishwar ko kaise khoje swami vivekanand life ईस लेख में आपको swami vivekanand जी के बारे में पता चला की कैसे Ishwar ko kaise khoje ।आप भी ईस महान कार्य में आगे बढ़े मैं प्रमात्मा से प्रार्थना करता हूँ, आप मन साधना की ओर और Guru ki खोज की ओर लगे। साधको में सेयर कर पुण्य लाभ प्राप्त करें ।
Thank you